Naughty kids short story for kids | Children pierced the pot | Short Story For Kids
Naughty kids short story for kids |शरारती बच्चों ने फोड़ा घड़ा | moral stories in hindi |बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी
Children pierced the pot
(Short Story For Kids)
एक बार की बात है , एक गांव में गोविंद नाम का व्यक्ति था. जो पेशेवर से एक कुमार था. जो रोज कुएं मे से पानी भरता ओर घड़ों के माध्यम से अपने घर पानी लेकर जाता था.
उसी गांव में कुछ शरारती बच्चे भी रहते थे , जो अपनी शरारतो से अन्य लोगों को बहुत ही ज्यादा परेशान करते थे.
वह परेशान करने की नए-नए मौके खोजते रहते थे , एक दिन गोविंद रोज की तरह अपने कुएं से पानी लेकर घर की तरफ पानी लेकर घर की तरफ जा रहा था , तभी उन शरारती बच्चो में से एक मोनू नामक लड़का गोविंद को पानी को ले जाते हुए देख लेता है .
उसके दिमाग में खुरापाती शरारत जन्म ले लेती है .अगले दिन जब गोविंद कुएं में पानी लेने जाता है , तब सभी बच्चे साथ मिलकर गोविंद के घड़े में छेद कर देते हैं.
जिसके कारण गोविंद के घड़े में से पानी निकलना शुरू हो जाता है, और वह जब तक घर पानी लेकर जाता है , तब तक आधा घड़ा खाली हो जाता है एक दिन तो गोविंद यह सोचकर इस बात को छोड़ देता है , की किसी अन्य कारण वर्ष घड़ा फूट गया होगा ,और वह नया घड़ा बनाकर इस्तेमाल करने लगता है लेकिन जब वह देखता है कि उसके घड़े में छेद इन बच्चों के द्वारा किया गया है तो वह उन बच्चों को समझाता है , कि यह करना गलत है .
लेकिन बच्चे बात मानने के लिए तैयार नहीं थे . जब यह रोज-रोज होने लगा तो गोविंद ने इसका समाधान ढूंढ लेता है .
जब अगले दिन गोविंद अपने कुऐ से पानी भरने के लिए जाता है , तो वह उसी फुटै घड़े का इस्तेमाल करता है , तब बच्चे देखते हैं की यह तो फूटे घड़े में ही पानी लेने के लिए आ गए हैं,
तब बच्चों का मजा किरकिरा हो जाता है वह अगले दिन का फिर इंतजार करते हैं की वह अच्छा घड़ा ले कर आएगे और हम उस में छेद कर देंगे .
लेकिन अगले दिन भी गोविंद फूटै घड़ै में ही पानी लेने जाता है तब बच्चे यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं , की यह तो एक कुम्हार है यह रोज के नए नए घड़े बना सकता है , लेकिन यह उसी फूटे घड़े का इस्तेमाल क्यों करता है यह बात उन्हें बहुत परेशान करने लगी रोज यह होने पर बच्चे परेशान हो जाते हैं और आखिरकार वे यह पूछने पर मजबूर हो जाते हैं , कि गोविंद कुम्हार होते हुए भी फूटे घड़े का इस्तेमाल क्यों करता है एक दिन गोविंद से बच्चे यह पूछ लेते हैं तब गोविंद उन्हें जवाब देता है .
जब तुम मेरे द्वारा समझाने पर भी तुम नहीं माने तो मैंने इसका समाधान ढूंढ़ लिया था .
बच्चे आश्चर्यजनक पूछते हैं क्या है वह समाधान गोविंद फिर जवाब देता है , जिस घड़े में तुमने छेद किया उस घड़े के रास्ते में मैंने कुछ फूलों के बीज बो दिए थे और मेरे द्वारा रोज फुटे घड़े में पानी ले जाने पर बीज अंकुरित होने लगे और वह पौधे बन गए और कुछ दिनों में वह फूल देने लगे और मैं उन फूलों को शहर जाकर बेच दिया करता हूं .
जिससे मुझे कुछ पैसे मिल जाते हैं , अब गोविंद एक बार फिर बच्चों को समझाता है की यह जो तुम शरारत करते हो यह ठीक नहीं है अब बच्चे इस बात को समझ गए थे कि शरारत कुछ हद तक सही है लेकिन यह रोज-रोज ठीक नहीं हैं |
उसी गांव में कुछ शरारती बच्चे भी रहते थे , जो अपनी शरारतो से अन्य लोगों को बहुत ही ज्यादा परेशान करते थे.
वह परेशान करने की नए-नए मौके खोजते रहते थे , एक दिन गोविंद रोज की तरह अपने कुएं से पानी लेकर घर की तरफ पानी लेकर घर की तरफ जा रहा था , तभी उन शरारती बच्चो में से एक मोनू नामक लड़का गोविंद को पानी को ले जाते हुए देख लेता है .
उसके दिमाग में खुरापाती शरारत जन्म ले लेती है .अगले दिन जब गोविंद कुएं में पानी लेने जाता है , तब सभी बच्चे साथ मिलकर गोविंद के घड़े में छेद कर देते हैं.
जिसके कारण गोविंद के घड़े में से पानी निकलना शुरू हो जाता है, और वह जब तक घर पानी लेकर जाता है , तब तक आधा घड़ा खाली हो जाता है एक दिन तो गोविंद यह सोचकर इस बात को छोड़ देता है , की किसी अन्य कारण वर्ष घड़ा फूट गया होगा ,और वह नया घड़ा बनाकर इस्तेमाल करने लगता है लेकिन जब वह देखता है कि उसके घड़े में छेद इन बच्चों के द्वारा किया गया है तो वह उन बच्चों को समझाता है , कि यह करना गलत है .
लेकिन बच्चे बात मानने के लिए तैयार नहीं थे . जब यह रोज-रोज होने लगा तो गोविंद ने इसका समाधान ढूंढ लेता है .
जब अगले दिन गोविंद अपने कुऐ से पानी भरने के लिए जाता है , तो वह उसी फुटै घड़े का इस्तेमाल करता है , तब बच्चे देखते हैं की यह तो फूटे घड़े में ही पानी लेने के लिए आ गए हैं,
तब बच्चों का मजा किरकिरा हो जाता है वह अगले दिन का फिर इंतजार करते हैं की वह अच्छा घड़ा ले कर आएगे और हम उस में छेद कर देंगे .
लेकिन अगले दिन भी गोविंद फूटै घड़ै में ही पानी लेने जाता है तब बच्चे यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं , की यह तो एक कुम्हार है यह रोज के नए नए घड़े बना सकता है , लेकिन यह उसी फूटे घड़े का इस्तेमाल क्यों करता है यह बात उन्हें बहुत परेशान करने लगी रोज यह होने पर बच्चे परेशान हो जाते हैं और आखिरकार वे यह पूछने पर मजबूर हो जाते हैं , कि गोविंद कुम्हार होते हुए भी फूटे घड़े का इस्तेमाल क्यों करता है एक दिन गोविंद से बच्चे यह पूछ लेते हैं तब गोविंद उन्हें जवाब देता है .
जब तुम मेरे द्वारा समझाने पर भी तुम नहीं माने तो मैंने इसका समाधान ढूंढ़ लिया था .
बच्चे आश्चर्यजनक पूछते हैं क्या है वह समाधान गोविंद फिर जवाब देता है , जिस घड़े में तुमने छेद किया उस घड़े के रास्ते में मैंने कुछ फूलों के बीज बो दिए थे और मेरे द्वारा रोज फुटे घड़े में पानी ले जाने पर बीज अंकुरित होने लगे और वह पौधे बन गए और कुछ दिनों में वह फूल देने लगे और मैं उन फूलों को शहर जाकर बेच दिया करता हूं .
जिससे मुझे कुछ पैसे मिल जाते हैं , अब गोविंद एक बार फिर बच्चों को समझाता है की यह जो तुम शरारत करते हो यह ठीक नहीं है अब बच्चे इस बात को समझ गए थे कि शरारत कुछ हद तक सही है लेकिन यह रोज-रोज ठीक नहीं हैं |
Moral of the story
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि यदि हमारा कोई बुरा करता है तो उसमें से हमें अच्छाई ढूंढना चाहिए कहने का मतलब है कि यदि कोई आपका काम बिगाड़ता है और बोलने पर भी नहीं मानता है तो हमें दूसरा रास्ता निकाल लेना चाहिए जिस प्रकार इस कहानी में कुम्हार द्वारा निकाला गया |
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि यदि हमारा कोई बुरा करता है तो उसमें से हमें अच्छाई ढूंढना चाहिए कहने का मतलब है कि यदि कोई आपका काम बिगाड़ता है और बोलने पर भी नहीं मानता है तो हमें दूसरा रास्ता निकाल लेना चाहिए जिस प्रकार इस कहानी में कुम्हार द्वारा निकाला गया |
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